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जनमत संग्रह के साथ विनय यादव फैजाबादी


मोदी जी ने किया मोहन भागवत के राष्ट्रपति बनने का मार्ग सुगम
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवर को अपने एक फैसले मे आयोध्या मे विवादित ढांचा गिराने के मामले मे श्री लालकृष्ण आडवाणी , डा. मुरली मनोहर जोशी , श्री कल्याण सिंह , साध्वि. उमा भारती सहित भाजपा व विहिप के 13 नेताओ पर अपराधिक साजिस रचने के लिये CBI को मुकदमा चलाने के लिये आदेश पारित कर चुकें है I
न्युज चैनेल और अखबार वाले उच्चतम न्यालय के इस नये आदेश का जो भी व्याख्यान करे पर हकीकत यह कि आ. एस. एस के प्रमुख श्री मोहन भागवात के राष्ट्रपति बनने का मार्ग सुगम हो चुका है और यही मांग शिव सेना भी उठा चुकी है और दुसरी तरफ श्री आडवानी के राष्ट्रपति बनने का सपना चकनाचुर हो गया है I
देश की भोली- भाली जनता अगर यह सोच रही है कि न्यालय ने स्वत: और एका एक यह आदेश पारित किया है तो वे गलत सोच रहे है, इस मुकदमे को फिर से खुलवाने के मामले के पिछे की राजनीति को समझना होगा जिसे कभी भी कोइ मीडिया डर के मारे नही बता सकती है I
सही मे देखा जाये तो उक्त आदेश न्यालय ने CBI के उस याचिका पर दी जिसमे CBI ने उपरोक्त लोगो पर अपराधिक साजिस रचने के खिलाफ जांच करने की मांग की थी I
अब यह बताना जरुरी नही कि केन्द्र के पिंजरे के तोते की क्या मजाल है कि वे अपने मालिक के आदेश के बिना ही fresh याचिका दायर कर सके, वैसे भाजपा के विनय कटियर ने खुलकर यह कह चुके है कि इस याचिका के पिछे CBI की साजिस है I
पुरी राजनीति को समझने के लिये आप को 2013 के भाजपा के उस घटना क्रम मे जाना होगा जब श्री मोदी जी को पार्टी के तरफ से उनका नाम प्रधान मन्त्री के रुप मे घोषित किया था और श्री आडवानी जी ने श्री मोदी के नाम के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया था और दोने के बिच मे छत्तिस के आंकडे की शुरुआत हो चुकी थी I
श्री मोदी जी स्वभाव ही कुछ ऐसा है कि वो बदले की भावना को दुर नही कर पाते है और इसी कारण श्री अरविन्द केजरीवाल और श्री आडवा नी जैसे लोगो को शिकार (Victim) होना पडता है I
पर मोदी जी भुल चुके है कि गुजरात के दंगे के बाद श्री अटल बिहारी बाजपेइ उन को मुख्य मन्त्री पद से हटाने का मन बना चुके थे पर श्री आडवानी जी के हस्तक्षएप के कारण वो मुख्य मन्त्री बने रहे I
ह्लांकि CBI इस मामले की जांच तब तक चलlती रहेगी जब तक मोदी जी राष्ट्रपति पद के उम्मिदवार के लिये किसी नाम की घोषणा ना कर दें और उसके बाद जांच की गति मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच असिमित समय तक चलती रहेगी 

टिप्पणियाँ

हम सैनिकों के खिलाफ नहीं हैं,
हम सैन्यवाद के खिलाफ हैं,
सैन्यवाद क्या होता है आइये इस पर चर्चा करते हैं,
एक लोकतंत्र में जनता पूरे देश और सरकार की मालिक होती है,
सरकार को जनता खुद बनाती है,
सरकार को जनता के हुक्म से काम करना होता है,
यह नियम है लोकतंत्र का,
लोकतंत्र के नियम में जनता और सरकार के बीच में सैनिक कहीं नहीं होने होते,
सरकार तो जनता की नौकर होती है,
नौकर अपने मालिक को कैसे पीट सकता है ?
लेकिन जब नागरिक बराबर नहीं होते,
जब जाति या सम्प्रदाय या पैसे के दम पर कुछ नागरिकों का समूह ज्यादा ताकतवर बन जाता है,
और जब यह ताकतवर नागरिकों का समूह सरकार पर कब्ज़ा कर लेता है,
और यह समूह सरकार से अपने फायदे के काम करवाने लगता है,
तो बाकी के नागरिक उसका विरोध करते हैं,
तब सरकार बाकी के नागरिकों को पीट पीट कर या जान से मार कर चुप कराने के लिए सैनिकों को भेजती है,
इसे ही सैन्यवाद कहा जाता है,
एक खराब लोकतंत्र उसे कहते हैं जिसमें सरकार हर बात में सैनिकों का इस्तेमाल करती है,
अच्छा लोकतंत्र वह होता है जो जिसमें सरकार जनता से बातचीत कर के फैसला लेती है,
अब उदहारण के लिए कालेज में विद्यार्थियों ने फीस बढाने के लिए प्रदर्शन किया,
सरकार को विद्यार्थियों से बातचीत करनी चाहिए,
लेकिन सरकार सिपाहियों को भेज कर विद्यार्थियों को पिटवाती है,
इसे सैन्यवाद कहते हैं,
बस्तर में अमीर उद्योगपतियों को ज़मीन चाहिए,
सरकार सैनिकों को भेज कर आदिवासियों को मारने पीटने और जेलों में ठूंसने का काम करती है,
ताकि आदिवासी डर जाएँ और ज़मीन छीनने का विरोध ना कर सकें,
इसे सैन्यवाद कहते हैं,
कश्मीर, मणिपुर में जनता से बातचीत ना करके सैनिक भेज कर नागरिकों को मारना पीटना सैन्यवाद कहलाता है,
ताकतवर आबादी सैन्यवाद का समर्थन करती है,
क्योंकि उसे सैन्यवाद के कारण आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक ताकत मिल रही होती है,
लेकिन गरीब, कमज़ोर जनता सैन्यवाद का विरोध करती है,
सैन्यवाद का शिकार हमेशा अल्पसंख्यक और गरीब होते हैं,
सैन्यवाद बढ़ने का मतलब है लोकतंत्र कमज़ोर हो रहा है,
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कहा है कि वह हर साल तीस प्रतिशत अर्ध सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा,
इसका मतलब है हर साल तीस प्रतिशत लोकतंत्र कम होता जाएगा,
यह सैनिक किसके खिलाफ इस्तेमाल किये जायेंगे ?
क्या भ्रष्ट अफसरों, भ्रष्ट व्यापारियों या भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के खिलाफ ?
नहीं सैनिक इस्तेमाल किये जायेंगे आदिवासियों दलितों, मजदूरी मांगने वाले मजदूरों, बराबरी मांगने वाले अल्पसंख्यकों के खिलाफ या महिलाओं या छात्रों के खिलाफ,
तो आप समझ सकते हैं कि सैन्यवाद के दम पर चलने वाला लोकतंत्र असल में जनता के विरोध में काम करने लगता है,
इसलिए हम लोकतंत्र को नियम से चलाने की जिद करते हैं और सैन्यवाद को कम से कम करते जाने का आग्रह करते हैं,
हम गरीब सैनिकों के खिलाफ नहीं हैं,
हम सैन्यवाद के खिलाफ हैं,

                                                 लेखक-

                                            

www.vinayyadav.wordpress.com

  विनय यादव 

हो चुका अब किसी का वो, कभी मेरी जिन्दगी था वो.. भुलता है कौन महोब्बत पहली, मेरी तो सारी खुशी था वो.. फुल की तरह मुस्कुराता था, मेरे होंठों की हँसी था वो.. बाद बरसों के उसे देखा था, आज भी उतना ही प्यारा था वो.. जिन्दगी नाम जिस के कर दी.. लोग कहते हैं अजनबी था वो..

Full on Masti with विनय यादव

जो लड़किया अर्धनंग्न कपड़े पहनती है उनके लिये मेरी ओर से समर्पित:-
एक लड़की को उसके पिता ने iphone गिफ्ट किया..
दूसरे दिन उसको पुछा iphone मिलने के बाद सबसे पहले तुमने क्या किया?
लड़की – मैंने स्क्रेच गार्ड और कवर का आर्डर दिया…
पिता – तुम्हें ऐसा करने के लिये किसी ने बाध्य किया क्या?
लड़की – नहीं किसी ने नहीं।
पिता – तुम्हें ऐसा नही लगता कि तुमने iPhone निर्माता की तौहिन की हैं?
बेटी- नहीं बल्कि निर्माता ने स्वयं कवर व स्क्रेच गार्ड लगाने के लिये सलाह दी है…
पिता – अच्छा तब तो iphone खुद ही दिखने मे खराब दिखता होगा तभी तुमने उसके लिये कवर मंगवाया है?
लड़की – नहीं…. बल्कि वो खराब ना हो ईसलिये कवर मंगवाया है…..
पिता – कवर लगाने से उसकी सुन्दरता में कमी आई क्या?
लड़की – नहीं … इसके विपरीत कवर लगाने के बाद iPhone ज्यादा सुन्दर दिखता है…
पिता ने बेटी की ओर स्नेह से देखते कहा….बेटी iPhone से भी ज्यादा किमती और सुन्दर तुम्हारा शरीर है .. उसके अंगों को कपड़ों से कवर करने पर उसकी सुन्दरता और निखरेगी…
बेटी के पास पिता की इस बात का कोई जवाब नहीं…!!
काश ये बात हर लड़की समझ पाती
सेलफोंन की हिफाजत की बात करती है। पर खुद की हिफाजत के बारे में भूल जाती है।
गर्ल्स की सोचना चाहिए की कवर किसी की वैल्यू की घटाता तो नही बल्कि सुरक्षा जरूर प्रदान करता है।
अपने सभी दोस्तों सहेलियो तक इस मेसेज को जरूर पहुचाये । लडकिया कोई सामान नही है ।वह खुद भगवान् कीइतनी सुन्दर कृति है की उन्हें इस बात को सिद्ध करने की कोई जरूरत नही है।
बाकी आप सभी खुद समझदार है।
भारत की संस्कृति को नष्ट होने से बचाये ।।

भगवान वामन श्री हरि के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए थे 13429329


हमारे वेदों में चार युगों का वर्णन मिलता है। ब्रह्माजी का एक दिन यानी चार वेदों का समय है। यह समय सौर वर्ष ( 12 माह से सौर वर्ष बनता है और सौर वर्ष का प्रथम दिन ‘मेष’ होता है।) में उल्लेखित है। चार युगों में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग आते हैं।

त्रेतायुग दूसरा युग था जिसमें अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु तीन अवतार लिए थे, जो क्रमशः वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार के नाम से हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेखित हैं।

त्रेतायुग में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में वामन अवतार लिया गया था। पहले चार अवतार क्रमशः मत्स्य, कच्छप, वाराह और नृसिंह थे। वामन अवतार में उन्होंने राजा बलि से तीन पग जमीन मांग कर धरती की रक्षा की थी। छठवां अवतार भगवान ने परशुराम का लिया। इसके बाद भगवान श्रीराम के रूप में भगवान विष्णु इस धरती पर जन्मे थे।

वामन अवतार: भगवान वामन श्री हरि के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए थे। उनके पिता वामन ऋषि और माता अदिति थीं। वह बौने ब्राह्मण के रूप में जन्मे थे। वामन भगवान को दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे।

भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुनः अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। दरअसल देवलोक पर असुर राजा बली ने विजयश्री हासिल कर इसे अपने अधिकार में ले लिया था। राजा बली विरोचन के पुत्र और प्रह्लाद के पौत्र थे।

उन्होने अपने तप और पराक्रम के बल पर देवलोक पर विजयश्री हासिल की थी। राजा बलि महादानी राजा थे, उनके दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। यह बात जब वामन भगवान को पता चली तो वह एक बौने ब्राह्मण के वेष में बली के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन पग के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला। इस तरह भगवान ने दो पग में धरती, आकाश नाम लिया, चौथा पग उन्होंने राजा बलि के सिर पर रखा था। जिसके बाद से राजा बलि को मोक्ष प्राप्त हुआ।

परशुराम अवतार: भगवान विष्ण के छठवें अवतार के रूप में राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र के रूप में जन्में थे। इस अवतार में वह भगवान शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु(फरसा) प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे।

श्रीराम अवतार: श्रीहरि ने सातवें अवतार के रूप में श्रीराम के नाम से जन्म लिया। वह अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्मे थे। इस अवतार में वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। उन्होंने लंकापति रावण के अलाव कई दैत्यों का अंत किया। श्रीराम की संपूर्ण गाथा वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित है।